Madhu varma

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लेखनी कविता -मेंढक - बालस्वरूप राही

मेंढक / बालस्वरूप राही


मेंढक उछल-कूद करता है
बाहर आ बरसात में,
जब सारी दुनिया सोती है,
टर्राता हैं रात में।

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